महर्षि सद्गुरु सदफाल देव जी महाराज त्रिलोकदर्शी हैं या नहीं? Maharshi Sadguru Sadafal dev ji Maharaj is trilok darshi or not?

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Maharshi Sadguru Sadafal dev ji Maharaj is trilokdarshi or not?:-यह कथा बड़ा ही रहस्यमय है। प्रथम परम्परा सद्गुरु आचार्य श्रीधर्मचन्द्रदेवजी महाराज वेद वेदाङ्ग के पूर्ण विद्वान के साथ-साथ कुशल तार्किक भी थे। वह कोई भी बात को पहले तर्क के कसौटी पर कसते थे। जब सिद्ध हो जाता था तब पूर्ण विश्वास करते थे। स्वामीजी अपने जीवन के अंतिम काल मे प्रयाग की गुफा में बैठे थे।

प्रथमाचार्यजी के मन मे यह प्रश्न कभी-कभी उठ जाता था कि स्वामीजी त्रिलोकदर्शी है कि नही? स्वामीजी उनके मन की बात जान गए। और कहा कि क्या सोच रहे है?जो सोच रहे हैं यह कोई बड़ी बात तो नही है। भविष्य की बात तो मैं पहले भी बता चुका हूँ वर्तमान में जो घटना घटित हो रहा है उसको आप देख ही रहे है आगे आप भविष्य के बारे में जानना चाहते हैं।

trilok darshi sadafal dev
Maharshi Sadguru Sadafal dev ji Maharaj is trilokdarshi or not

बताइए आपके किस जन्म की बात बताऊँ? मैं आपके कई जन्मों की बात बता सकता हूँ इतना ही नहीं दिखा भी सकता हूँ। और स्वामीजी इस बात को प्रयोग करके दिखा भी दिये। स्वामीजी ने कहा कि आपके बातों को रखने के लिए मुझे प्रकृति मण्डल में आना पड़ रहा है।आप मेरे साथ आँख मूंद कर बैठिए।

स्वामीजी उनके आत्मा को लेकर एक विशेष मण्डल में ले गये और कई जन्मों की बात एक झटके में ही दिखा दिये। प्रथमाचार्यजी की आँख खुली तो वह अपने पिता को एक सत्पुरुष के रूप में देखकर रोने लगे।उनकी आँखों से आसुंओ की धारा चलने लगी। और कहने लगे कि अबतक मोह से ग्रसित आपको पिता ही समझ रहा था।

Vihangam Yoga ek vihangam drishti sadguru sadafal dev ji maharaj
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मगर अब मुझे पूर्ण विश्वास हो गया कि आप मेरे पूर्व के भी गुरु है और आज भी है। हे सदगुरुदेव! आप हमें क्षमा करें। ऐसा संदेह मैं कभी नही करूँगा। स्वामीजी ने कहा कि मेरे शरीर छोड़ने के बाद यह अनुभवसिद्ध ज्ञान आपके अन्दर पूरा-पूरा उतर जाएगा।

तब आपकी वेद वेदाङ्ग का सारा ज्ञान धरि की धरी रह जाएगी। और आप खुद ही वेद को लिखनेवाले हो जायेंगे। यह कथा आगे और भी लम्बी है।अब मैं यही पर विराम देता हुँ।

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